*पीएम कृषि सिंचाई योजना से ......* *खीरी में स्थापित प्रदेश के पहले ड्रिप इरीगेशन ऑटोमेशन सिस्टम का डीएम ने किया निरीक्षण*
*पीएम कृषि सिंचाई योजना से ......*
*खीरी में स्थापित प्रदेश के पहले ड्रिप इरीगेशन ऑटोमेशन सिस्टम का डीएम ने किया निरीक्षण*
*'पर ड्रॉप मोर क्रॉप’ माइक्रोइरीगेशन योजना में खीरी के उद्यान विभाग ने बनाया कीर्तिमान*
लखीमपुर खीरी 29 जुलाई 2021 : बुधवार की शाम डीएम अरविन्द कुमार चौरसिया ने डीडी कृषि योगेश प्रताप सिंह, डीएचओ दिग्विजय कुमार, डीसीओ बीके पटेल के साथ तहसील व विकासखण्ड पलिया के ग्राम विक्रमवन में कुल 14 कृषकों के प्रक्षेत्र पर क्ल्स्टर के रूप में 33.28 हेक्टेयर क्षेत्रफल में स्थापित ड्रिप इरीगेशन ऑटोमेशन सिस्टम को देखने जा पहुंचे। इस योजना का यह खीरी जनपद का ही नही बल्कि प्रदेश का पहला ड्रिप इरीगेशन ऑटोमेशन सिस्टम है।
बताते चलें कि केंद्र सरकार की संचालित प्रमुख योजनाओं में एक पीएम कृषि सिंचाई योजना के उपघटक- ‘‘पर ड्रॉप मोर क्रॉप’’ माइक्रोइरीगेशन योजना में खीरी के उद्यान विभाग ने एक नया कीर्तिमान स्थापित कर जनपद व प्रदेश का नाम रौशन किया। इस संयंत्र को स्थापित करने में गन्ना व उद्यान विभाग ने मिलकर बड़ी भूमिका निभाई।
निरीक्षण में डीएम को डीएचओ दिग्विजय कुमार ने बताया कि ड्रिप इरीगेशन सिस्टम से कृषक कहीं भी रहकर अपने खेत में आवश्यकतानुसार सिंचाई व खाद या उर्वरक पौधों में सप्लाई किया जा सकता है। संयत्र स्थापित करने वाली निर्माता फर्म मे. जैन इरीगेशन सिस्टम लि. जलगांव के प्रतिनिधि प्रमोद कुमार यादव व उनकी टीम ने बताया कि इस सिंचाई प्रणाली में एक प्रोगाम सेट किया जाता है, जिससे कन्ट्रोल वाल्व स्वयं ही खुलते व बन्द होते हैं। न्यूट्रिक एयर सिस्टम के जरिये पौधों की जरूरत के अनुसार खाद व उर्वरक सप्लाई किया जाता है। इसके अतिरिक्त पूर्ण सिस्टम दो तरीके से संचालित किया जा सकता है। पहला- टाइमबेस व दूसरा- वॉल्यूम बेस। दोनों ही तरीको से पौधों की आवश्यकतानुसार सिंचाई व आवश्यक न्यूट्रिशियन उपलब्ध कराये जाते हैं। कृषक कमल सिंह पुत्र केवल सिंह एवं अन्य के प्रक्षेत्र पर क्ल्स्टर के रूप में लगा संयंत्र दोनो ही जरिये संचालित किया जा सकता है, जिसके कारण यह प्रदेश का प्रथम ड्रिप सिंचाई सिस्टम है। इस प्रकार का सिस्टम अन्य प्रदेशों में भी नहीं लगा है। सरकार की इस योजना से जहां एक ओर जल संरक्षण होता है वहीं दूसरी ओर बार-बार सिंचाई व समय की बचत होती है। डीएचओ दिग्विजय कुमार को डीएम डॉ. अरविन्द कुमार चौरसिया ने इस प्रकार के कार्य हेतु प्रोत्साहित किया। डीएचओ ने बताया कि उद्यान व गन्ना विभाग के समेकित प्रयासों से धौरहरा तहसील में भी इस तरह का संयंत्र स्थापित करने की पूरी कार्ययोजना तैयार है। शीघ्र ही यह संयंत्र वहा भी स्थापित किया जाएगा। जिससे वहां के किसान भी ड्रिप इरिगेशन से जुड़कर पानी खाद व लेवर के खर्चों में बड़ी बचत कर सकेगे।
*ड्रिप इरीगेशन से पानी,खाद, लेबर के खर्चे में भी होती है बचत*
ड्रिप इरीगेशन में पानी व खाद की बचत के अलावा लेबर का भी खर्चा कम होता है। ड्रिप इरीगेशन में पानी की फिटिंग की मेन और सब मेन लाइन जमीन के अंदर होती है। ऐसे में जमीन का इस्तेमाल भी कम होता है। इससे जमीन भी बचती है। फसल की जरूरत के मुताबिक ही पानी दिया जाता है। पतराल सूखी रहने से फसल को बीमारियां भी कम लगती हैं। ड्रिप इरीगेशन में 40-50 फीसदी पानी और 20-25 फीसदी खाद की बचत होती है। वहीं, फसल का उत्पादन 20-25 फीसदी बढ़ता है।