भगत सिंह की 116वीं जयंती पर उन्हें कृतज्ञ राष्ट्र का शत्-शत् नमन ।सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में है

 ।। भगत सिंह की 116वीं जयंती पर उन्हें शत्-शत् नमन ।।

"सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है 

देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में है"

भगतसिंह का जन्म, पाकिस्तान में है शहीद भगत सिंह 28 सितंबर 1907 को जिला लायलपुर (अब फैसलाबाद, पाकिस्तान में) के गांव बावली में जन्में शहीदे आजम भगत सिंह की आज 116वीं जयंती है। देश की आजादी के लिए लड़ते हुए 23 मार्च 1931 को भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को ब्रिटिश हुकूमत ने फांसी से लटका दिया था। इस बात को करीब 87 साल गुजर गए हैं, लेकिन भगत सिंह आज भी हमारे जेहन में जिंदा हैं। उनका वो घर भी मौजूद है, जहां उनका जन्म हुआ था और जहां उन्होंने अपना बचपन बिताया था। ये मकान अब पाकिस्तान में है।


- 28 सितंबर, 1907 को फैसलाबाद जिले के जरांवाला तहसील स्थित बंगा गांव में जन्मे भगत सिंह के पूर्वज महाराजा रणजीत सिंह की सेना में थे। उनके पिता और चाचा गदर पार्टी के सदस्य थे। यह पार्टी ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ क्रांतिकारी आंदोलन चला रही थी।


- इसका असर यह हुआ कि बचपन से ही भगत सिंह में ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ गुस्सा भर गया। उन्होंने भी देश की आजादी के लिए क्रांति का रास्ता चुना।

- वह हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के सदस्य बने। इसमें चंद्रशेखर आजाद, राम प्रसाद बिस्मिल और सुखदेव जैसे महान क्रांतिकारी मौजूद थे।

- देश की आजादी के लिए लड़ते हुए भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को ब्रिटिश हुकूमत ने फांसी से लटका दिया था। इस घटना ने पूरे देश को हिला दिया था।

- भगत सिंह और उनके साथियों ने हंसते-हंसते फांसी के फंदे को चूमा था और इंकलाब-जिंदाबाद का नारा बुलंद किया।

पाकिस्तान में है पुश्तैनी घर

- शहीद भगत सिंह का पुश्तैनी घर पाकिस्तान में मौजूद है। उनका जन्म फैसलाबाद के बंगा गांव में चाक नंबर 105 जीबी में हुआ था।

- चार साल पहले इसे हेरिटेज साइट घोषित कर दिया गया था। इसे सरंक्षित करने के बाद दो साल पहले पब्लिक के लिए खोल दिया गया।

- फरवरी 2014 में फैसलाबाद डिस्ट्रिक्ट कोऑर्डिनेटर ऑफिसर नुरूल अमीन मेंगल ने इसके संरक्षित घोषित करते हुए मरम्मत के 5 करोड़ रुपए की रकम भी दी थी।

- इसके बाद वहां के गर्वंमेंट कॉलेज यूनिवर्सिटी के रिसर्ट स्कॉलर तौहिद चट्ठा ने बताया था कि भगत सिंह के मकान को ही नहीं उनके पूरे गांव को टूरिस्ट प्लेस के तौर पर डेवलप किया जा रहा है।

- बंटवारे के बाद भगत सिंह के मकान पर एक वकील ने कब्जा कर लिया था, जिनके वंशजों ने कई दशकों से भगत सिंह के परिवार से ताल्लुक रखने वाले सामान बचाकर रखे।

- मकान में मौजूद इन सामानों में उनकी मां के कुछ सामान, दो लकड़ी की ट्रंक और एक लोहे की अलमारी शामिल हैं।

- हालांकि अब एडमिनिस्ट्रेशन ने मकान और सामान दोनों को ही अपने कब्जे में ले लिया है।

- उनके गांव में हर साल 23 मार्च को उनके शहादत दिवस सरदार भगत सिंह मेला भी ऑर्गेनाइज किया जाता है।

देश की आज़ादी के लिए अपने प्राणों का बलिदान करने वाले भारत माता के सच्चे सपूत।

भगत सिंह की 116वीं जयंती पर उन्हें कृतज्ञ राष्ट्र का शत्-शत् नमन ।

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