रामलीला मे आठवें दिन सीता हरण एवं सुपनखा का नकछेदन का हुआ मंचन
चंदौली / धानापुर । रामलीला चबूतरे पर आठवे दिवस के लीला मे हुआ सीता हरण एवं सुपनखा का नकछेदन का मंचन। श्री राम चौदह वर्ष के लिए वन मे जाने के लिए सारे राजसि वेश को त्याग कर साधु वेश धारण करके तैयार होते है तो माता सीता एवं लक्ष्मण भी उनके साथ जाने के लिए तैयार हो जाते है।
इधर प्रजा को ज़ब यह मालूम होती है तो सारे अयोध्या वासी विलाप करते हुए राम के साथ जाने लगते है परन्तु सभी को राम समझाते है हुए वन मे प्रस्तान कर जाते है, वहा केवट से मुलाक़ात होती है वह अपनी नाव मे बैठने से पूर्व भगवान श्रीराम से मधुर संवाद होता है, मंचन आगे की तरफ बढ़ती है राम जंगल मे एक कुटीयाँ बना कर वही निवास करते है।
जंगल मे रावण की बहन राम को देख कर उनपर मोहित हो जाती है और स्वयं रुपवती बनकर राम से स्वयं की प्रसंसा करते हुए विवाह का इच्छा प्रकट करती है तो राम स्वयं विवाहित होने की बात कहकर लक्ष्मण के पास भेजदेते है तो लक्ष्मण कहते है की हे देवी मुझसे विवाह करोगी तो तुम आजीवन रानी नहि दासी बनकर रहोगी क्योंकि मै अपने बड़े भईया भाभी का सेवक हुँ इतना सुनते ही सुपनखा पुनः राम के पास जाती है और कहती है की आप इसी स्त्री के वजह से मुझसेरहे।वाह नहि कर रहे है न तो मै इसी को समाप्त कर देती हूँ इतना कहते ही वह अपने राक्षसी रूप को धारण कर लेती तब राम लक्ष्मण को सावधान कहते हुए कुछ इसारा करते है जैसे ही वह माता सीता की तरफ बढ़ती है लक्ष्मण बिजली की भांति कटार से सुपनखा का नाक काट देते है।
वह चित्कार करते हुए अपने भाई रावण के पास जा कर कहती है तुम यहां मदिरा पान करके नृत्य का आनंद ले रहे हो जंगल मे दो वनवासी ने मेरा ये हाल कर दिया और उनके एक बहुत ही सुंदर स्त्री है जिसे तुम अपना दासी बनाकर मेरा प्रतिशोध लो फिर भी रावण उसकी बातो को अनसुना कर देता है सुपनखा पुनः रावण को बहुत उकसाती है।
तब जाकर रावण अपने मामा मारीच को एक स्वर्ण मृग का रूप धारण करके पता लगाने को कहता है।
मारीच स्वर्ण मृग का रूप धारण करके जैसे ही जाता है तो माता सीता राम एवं लक्ष्मण से उस मृग को पाने की इच्छा जाहिर करती है तब लक्ष्मण जी अपने आश्रम के चारो ओर एक रेखा खींचकर उस मृग का पीछा करने लगते है राम उस पर बान चला देते पर मृग अंतरध्यान हो जाता है इधर रावण साधु वेश धारण कर धोखे से माता सीता का हरण कर लेता है।
सभी स्थानीय कलाकारो ने अपने मंचन से खूब तालियां बटोरी और दर्शकों ने भी लीला भरपूर आनंद लिया।
पात्र भूमिका मे:-
राम- (शिवांश मिश्रा), लक्ष्मण- (देवांश मिश्रा), सीता- (अमन मिश्रा) रावण- (श्याम सुंदर माली), खर- (घनश्याम मौर्य), दूषण (मोनू मौर्य), त्रीशरा- (मृगांग शेखर), सुन्दरी सूर्पनखा- (जुगनू), सूर्पनखा- (शिवकुमार), जटायु- (बंशीधर दुबे)
उपस्थिति एवं रामायणी
सनत कुमार, अरबिंद मिश्र, वशिष्ट दुबे, रामलाल सेठ, बिपिन रस्तोगी, सुरेन्द्र सेठ, सतीश सेठ, कृष्णा द्विवेदी, श्रीराम सिंह, अच्युतानंद दुबे, लक्ष्मन मौर्य, मुराहु सेठ,इत्यादि लोग मौजूद रहे।