परशुराम जयंती के उपलक्ष्य में तुलसी साहित्यिक सामाजिक संस्था के द्वारा एक आनलाइन कवि सम्मेलन आयोजित किया गया।
परशुराम जयंती के उपलक्ष्य में तुलसी साहित्यिक सामाजिक संस्था के द्वारा एक आनलाइन कवि सम्मेलन आयोजित किया गया।
बदायूँ
परशुराम जयंती के उपलक्ष्य में तुलसी साहित्यिक सामाजिक संस्था के द्वारा एक आनलाइन कवि सम्मेलन आयोजित किया गया। जिसकी अध्यक्षता कामेश पाठक ने की और सरस्वती वंदना डां प्रीती हुंकार मुरादाबाद ने कवि सम्मेलन का संचालन ओजस्वी कवि षटवदन शंखधार ने किया जिसमें सभी कवियों ने वीडियो के माध्यम से काव्य पाठ देर रात किया जिसमें कवियों ने इस प्रकार काव्य पाठ किया ।
युग द्रष्टा युग स्रष्टा, परसुराम की जय,
शिव के अनन्य भक्त ,को मेरा प्रणाम है।
आतंकी क्षत्रिय मार , विश्व कल्याण करके,
धर्म बचाने वाले का, पूजनीय नाम है।
पितृ भक्त आज्ञाकारी, माता को भी मार दे जो,
विष्णु अवतार धारी , वो परसुराम है,
गणेश का मान भंग, किया था कैलाश पर ,
धनुष था तोड़ा पर , नत हुए राम हैं।
शैलेन्द्र मिश्रा देव
बदायूं
ईश्वर ने अवतार लिया है परशुराम बन कर आये।
भोले नाथ को गुरु बनाया, दिव्य शस्त्र को पाये।।
सुनील नागर 'सरगम' (मध्यप्रदेश)
आज अक्षय तृतीया के दिन ही जयंती परशुराम की
क्रोध के भंडार रहे , प्यार के प्रतीक परशुराम की
रवि रश्मि 'अनुभूति '(मुम्बई)
छंद........
मातु रेणुका का पुत्र,वीरता का था प्रतीक,
तीनों लोक नाम सुन,कांप कांप जाते थे,
तीरों से था भरा हुआ,तरकश देख देख,
शत्रु दल अति शीघ्र,भाव भांप जाते थे,
वीर योद्धा जिस ओर, मुड जाता एक बार,
दानवों के मुंड मुंड ,धूल में समाते थे,
साधु जन विप्र जन,भृगु जी का नाम जप,
हिय में आनंद लिए, अति सुख पाते थे,
षटवदन शंखधार
बदायूं (संचालक)
माता के प्रति प्रेम भाव था ,मान रखा आज्ञा का पिता की जो थे पालनहार
पिता ने क्रोधवश चार पुत्रों को श्राप दिया खो देने का अपने विवेक विचार।
नीतू राठौर भोपाल (म प्र )
महाकाल शिव की आराधना में रत वह।
भाव भक्ति प्रबल रही निष्काम हो गया।।
कर में परशु गहे, कांधे शरासन सोहे।
तापस धनुर्धारी परशुराम हो गया।।
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प्रमोद दीक्षित 'मलय' ( बांदा )
भाल पे लाल त्रिपुण्ड लसै,उर रुद्र की माल विराजत है।
वायें कर मे धनुवाण सजे,दहिने कर फरशा साजत है।
रस रौद्र बसे जैसे नैनन मे,बैनन रस वीर सुहावत है ।
दास हृदय प्रभु वास करौ,तुम्हें पाठक शीश झुकावत है।
कामेश पाठक (बदायूं)
छठे अवतार रूप विष्णु जी का आप ही हो।
भीष्म द्रोण कर्ण सारे शिष्य कहलाते हैं।
बिनोद कुमार "हँसौड़ा" दरभंगा(बिहार)
कलियुग में साधू संतों का जीना है दुशवार
परशुराम भगवान तुम्हारा कब होगा अवतार
- उज्ज्वल वशिष्ठ
बदायूँ ( उत्तर प्रदेश)
सकल जगत की रक्षा में वो परशु धार चले रण में ,
अहंकार का दमन करनेप्रभु अवतार चले रण में ल।
यतिन अधाना( मेरठ उत्तर प्रदेश)
प्रभु परशुराम मेरे, तुमने ही दुनिया तारी
तुमने ही दुष्ट मारे, तुमने धरा उबारी
विष्णु असावा
बिल्सी ( बदायूँ )
सिर पर जटा,क्रांतिदूत ने दुनिया को वीरता दिखाई ।
परशुराम ने भीष्म, द्रोण, कर्ण को धनुर्विद्या सिखाई ।।
विकास भारद्वाज बिल्सी (बदायूँ)
कांधे पे पिनाक धारि, कर में कुठार लिए,
अरि के दमन हेतु, चले भृगुनाथ हैं,
यानि मातु भारती की, लाज को बचाने हेतु,
काल के ही महाकाल, बने भृगुनाथ हैं,
सुनील कुमार शर्मा
बदायूं उ. प्र.
विष्णु के कुल अवतारों में षटावतार तुम्हारा है
हे!जमदाग्निय वर दो हमको
सहत्र प्रणाम हमारा है
डाॅ. उषा कनक पाठक (मिर्जा पुर उ.प्र.)
परशुराम हैं राम के, युग सृष्टा अवतार।
आकर पृथ्वी पर सकल,किया जीव उद्धार।।
प्रदीप वैरागी
शाहजहाँपुर, उत्तर प्रदेश
कवि सम्मेलन में तुलसी साहित्यिक सामाजिक संस्था के अध्यक्ष अतुल कुमार श्रोत्रिये ने सबका हदय से आभार व्यक्त किया और ग्रुप में श्रोता के रूप में सीमा चौहान, हरिचंद्र सक्सेना,डां राकेश कुमार जायसवाल, कौशिक सक्सेना ने सभी की कविताओं पर सटीक विश्लेषण टिप्पणी की और उत्साह वर्धन किया संस्था सचिव पवन शंखधार ने सभी साहित्यकारों का ह्रदय से आभार किया।