स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित जवाहरलाल नेहरू की पुण्यतिथि के अवसर पर गोष्ठी का आयोजन
बदायूँ
बीएसए आफिस स्थित कांग्रेस कार्यालय पर पूर्व प्रधानमंत्री, देश की आजादी के संघर्ष में अपना कंधे से कंधा मिलाकर संघर्ष करने वाले, आधुनिक भारत के शिल्पकार स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित जवाहरलाल नेहरू की पुण्यतिथि के अवसर पर गोष्ठी का आयोजन किया गया गोष्ठि में उपस्थित कांग्रेसजनों एवम कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए जिला कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष ओमकार सिंह ने कहा कि आज हम इस महान हस्ती के बारे में कुछ जानने का प्रयास करते हैं। हालांकि नेहरू के बारे में बात सूर्य को दीपक दिखाने के समान है, क्योंकि उनके संस्मरणों से देश की आजादी की गाथा के इतिहास में अनेक अध्याय भरे पड़े हैं। नेहरू एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के साथ-साथ अदभुत आकर्षक व्यक्तित्व के धनी, ओजस्वी वक्ता, उत्कृष्ट लेखक, इतिहासकार, आधुनिक भारत का सपना देखने वाले महान स्वपनदृष्टा थे, सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि देश में आधुनिक भारत के शिल्पकार के ख़िताब से नवाज़े जाने का श्रेय अगर किसी एक व्यक्ति को जाता है तो वो नि:संदेह सबसे पहले भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को ही जाता हैं।
इस अवसर पर युवा कांग्रेस जिलाध्यक्ष शफ़ी अहमद ने कहा कि नेहरू अपने जीवनकाल में देश में एक बहुत बड़े जननेता के रूप में भारत के आम लोगों के बीच बहुत ही ज्यादा लोकप्रिय रहे हैं। नेहरू की देश की जनता के बीच में इतनी जबरदस्त लोकप्रियता थी कि आज हम और आप शायद उसकी कल्पना भी न कर सकें, नेहरू को सुनने के लिए उस साधन-विहीन दौर में भी लाखों लोगों की भारी भीड़ इकट्ठा हो जाती थी। नेहरू की लोकप्रियता इतनी अधिक थी कि वो भारत के साथ-साथ विदेशों में भी बहुत लोकप्रिय थे, जब वो विदेशी दौरे पर जाते थे तो उस समय विदेशी धरती पर भी उनके स्वागत के लिए भारी जनसैलाब उमड़ पड़ता था, विदेशों के लोगों में उनकी निराली धाक थी। भारत के बट़वारे के बाद जिस समय भारत को अंग्रेजों से आजादी मिली थी तो उस समय देश के हालात आर्थिक रूप से बहुत खस्ताहाल व दंगा-फसाद के चलते बेहद तनावपूर्ण थे, इन हालातों को देखकर बहुत सारे ताकतवर देशों को लगता था कि भारत आजाद होने के बाद इस स्थिति को नियंत्रित करके अपने दम पर कैसे खड़ा हो पायेगा।
लेकिन उन देशों की इस सोच को नेहरू ने अपने कुशल नेतृत्व से जल्द ही झुठलाने का काम किया, उन्होंने सफलता पूर्वक भारत का नेतृत्व सम्हालकर देश को विकास की नयी गति देने का कार्य किया। उसके बाद से ही विदेशों में अब तक भी नेहरू की बहुत ज्यादा इज्जत होती है। लेकिन अफसोस आज नेहरू के अपने देश भारत में उनके नाम पर आरोप-प्रत्यारोप की ओछी राजनीति जमकर होती है, हालात यह तक हो गये हैं कि नेहरू की विचारधारा व नीतियों को खुद कांग्रेस पार्टी के चंद शीर्ष नेता तक भूल रहे हैं, वो कांग्रेस के कार्यकर्ताओं से दूसरे दल के नेताओं से सिखाने तक के लिए बोल देते हैं। हाल के वर्षों में कांग्रेस पार्टी के देश में बेहद कमजोर होने के चलते अन्य राजनीतिक दलों के द्वारा हर विफलता के लिए नेहरू को दोष देकर अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ने का चलन बहुत चल रहा है। कोई भी यह सोचने के लिए तैयार नहीं है कि देश समय काल परिस्थिति बहुत बड़ी होती है अगर वर्षों बाद किसी निर्णय को कसौटी के मापदंडों पर तोला जायेगा तो एक सही निर्णय भी उस समय गलत प्रतीत हो सकता हैं। खैर जो भी हो आज देश में नेहरू के प्रति इतिहास बदलने के चलते काफी स्थितियां बदल गई हैं। अब नेहरू को लेकर राजनीतिक लोगों के द्वारा तरह-तरह के विवादों को जन्म दे दिया गया है। आज देश में बहुत लोग जानते ही नहीं है कि नेहरू ने हमारे देश के लिए क्या किया या वास्तव नेहरू कौन थे। कुछ लोग तो आज की कांग्रेस और उसके चंद नेताओं को देखकर महामानव नेहरू की छवि के बारे में तुलना करके आकलन करने लग जाते हैं। इसके पीछे दशकों तक कुछ राजनीतिक दलों व कुछ लोगों के द्वारा नेहरू के खिलाफ फैलाए गए झूठे तथ्यों के आधार पर किये गये दुष्प्रचार का बहुत बड़ा हाथ है। इसीलिए आज पुण्यतिथि के दिन हम देश व विदेश की धरती पर बेहद लोकप्रिय रहे जवाहरलाल नेहरू के बारे में कुछ बातें अवश्य जानें। मुस्ताहिक खान ने ने कहा कि वैसे तो देश के आजाद होने से पहले ही राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने पंडित जवाहर लाल नेहरू को ही अपनी राजनीतिक विरासत का उत्तराधिकारी मान लिया था। लेकिन गांधी जी ने 15 जनवरी, 1942 को वर्धा में हुई अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी की बैठक में नेहरू को अपना वारिस सार्वजनिक रूप से घोषित कर दिया था, जबकि उस समय देश में गांधी नेहरू के मनमुटाव की खबर चल रही थी, गांधी जी ने इस अधिवेशन में कहा था कि 'मुझसे किसी ने कहा कि जवाहरलाल और मेरे बीच अनबन हो गई है। यह बिल्कुल गलत है। जब से जवाहरलाल मेरे पंजे में आकर फंसा है, तब से वह मुझसे झगड़ता ही रहा है। परंतु जैसे पानी में चाहे कोई कितनी ही लकड़ी क्यों न पीटे, वह पानी को अलग-अलग नहीं कर सकता, वैसे ही हमें भी कोई अलग नहीं कर सकता। मैं हमेशा से कहता आया हूँ कि अगर मेरा वारिस कोई है, तो वह राजाजी नहीं, सरदार वल्लभभाई नहीं, जवाहरलाल है। उपरोक्त संस्मरण गांधी जी नेहरू का आपसी विश्वास व प्रेम को प्रदर्शित करता है उनके देश को समर्पित कार्यो पर प्रकाश डालते हुए जिलाध्यक्ष ओमकार सिंह ने कांग्रेसजनों को जवाहरलाल नेहरू जी की तरह ही देश हित मे देश की सेवा करेंगे इस अवसर पर बब्बू चौधरी, सेवादल अध्यक्ष हरीश कश्यप, नफीश खान, अरबाज रज़ी, मोहम्मद यसब, असलम, हसन, एडवोकेट धर्मवीर सिंह, फरहान हुसैन, वीरेश यादव आदि कांग्रेसजन मौजूद रहे।