*अन्नप्राशन संस्कार मनाया*
आज गुरु पूर्णिमा के पावन पर्व पर मेहर चंद शर्मा व धर्मपत्नी ममता शर्मा जी ने अपने दोनों पौत्र का अन्नप्रशन संस्कार करवा।महंत विजय गिरि जी महाराज ने बताया कि,'अन्नप्राशन’ संस्कृत का एक शब्द है। जिसका अर्थ है ‘अनाज का सेवन करने की शुरुआत’ हिन्दू धर्म में कई संस्कारों में से यह भी एक संस्कार है। जिसमें माता-पिता पूरी विधि, पूजा संस्कार के साथ अपने बच्चे को अन्न खिलाने की शुरुआत करते हैं। यह संस्कार बच्चे को पहली बार चावल खिलाकर किया जाता है। अक्सर माता-पिता अपने बच्चे के लिए इस संस्कार को पूरे परिवार के साथ करते हैं जिसे उसका का एक महत्वपूर्ण विकास भी माना जाता है। यह वह समय होता है जब बच्चा, माँ के दूध के साथ-साथ ठोस खाद्य पदार्थ का सेवन करना भी शुरू कर देता है। अन्नप्राशन एक का एक रिवाज है देश के विभिन्न राज्यों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है, जैसे पश्चिम बंगाल में इसे मुखेभात, केरल में चोरूणु, गढ़वाल में भातखुलाई और इत्यादि। इस अनुष्ठान के बाद बच्चे को स्तनपान कराना धीरे-धीरे छुड़ाया जाता है। और उसे ज्यादातर ठोस आहार ही दिया जाता है।सत्यजीत शर्मा,पत्नी पूजा शर्मा, पंअमरजीत शर्मा,बुवा डॉ भारती शर्मा,ने पूरे परिवार के साथ यह उत्सव मनाया और महंत विजय गिरि जी महराज जी से आशीर्वाद लिया।