ईंट भट्ठा संचालकों की मनमानी से बंजर हो रही जिले की जमीन मानक से दोगुना ज्यादा खुदाई, तालाब में तब्दील हो रहे खेत।

ईंट भट्ठा संचालकों की मनमानी से बंजर हो रही जिले की जमीन 

मानक से दोगुना ज्यादा खुदाई, तालाब में तब्दील हो रहे खेत



*संपादक जितेंद्र कुमार कश्यप के साथ बरेली मंडल प्रभारी नीतू कश्यप के साथ उत्तर प्रदेश सहायक ब्यूरो विभांशु शुक्ला की विशेष रिपोर्ट*


नवादा3 महीने पहले

--- बंजर हाे रही सैकड़ों हेक्टेरयर धरती, खेताें की मिट्टी भट्ठे पर डंप कर रहे भट्ठेदार


निगोही। घर बनाने के लिए सबको लाल ईंट चाहिए । इसके लिए क्षेत्र में वैध अवैध कई ईट भट्टे दिन रात धधक रहे हैं लेकिन नियमों की अनदेखी के कारण हर दिन एक बड़ा उपजाऊ भूभाग बंजर होता जा रहा है। क्षेत्र के ईंट भट्ठाें पर मिट्टी का पहाड् बनना शुरू हाे गया है। जेसीबी मशीन मिट्टी के नाम पर किसानाें के खेताें की जान निकाल रही है। प्लाट दर प्लाॅट खेत विरान और तालाब बने दिख रहें हैं। कहीं पैसे ताे कहीं खेत में पानी ठहरने के लालच में किसान अपना खेत ईंट भट्ठा व्यवसाईयाें काे साैंप रहें हैं। हलांकि उपज और पर्यावरण की दृष्टि से बेहद खतरनाक है। कृषि वैज्ञानिकाें के अनुसार यह खेताें की हत्या करने जैसा है। उपजाउ खेताें में तीन फुट से ज्यादा खुदाई जलस्तर और उपज दाेनाें के लिए विनाशकारी है।


--- बिना विनियम शुल्क(विकास शुल्क) जमा किए डम्प की जा रही मिट्टी


सूत्र की माने तो निगोही ब्लाक क्षेत्र में संचालित कई ईंट भट्टा स्वामियों ने बिना विनियम शुल्क जमा किए ही भट्ठे पर भारी मात्रा में मिट्टी डंप कर ली है। हर रोज जेसीबी मशीन से खेती से मिट्टी खोदकर बड़े बड़े मिट्टी के पहाड़ बनाए जा रहे हैं। इस तरह ईंट भट्टा स्वामी राजस्व को नुकसान पहुंचाकर अपना मुनाफा कमाने में लगे हुए हैं। वहीं जिम्मेदार अधिकारी भी आर्थिक सांठगांठ के चलते इनपर कोई कार्यवाही नहीं करते हैं। जिससे इनके हौसले बुलंद होते जा रहे हैं।


--- लगातार गिर रहा जलस्तर

आंकड़े बताते हैं कि मिट्टी की लगतार हाे रही कटाई से हर साल हजाराें एकड़ भूमि बंजर हाे रही है। इससे प्रदूषण का खतरा बढ़ने के साथ-सा‌थ जलस्तर भी गिर रहा है।खनन के बाद उस स्थान पर मिट्टी का दबाव कम हाेने से पानी ऊपर आ जाता है। इससे दूसरे स्थान का जलस्तर नीचे चला जाता है। वहीं मिट्टी के अंदर रहने वाले सूक्ष्म जीवाें के नष्ट हाे जाने से पर्यावरण काे खतरा उत्पन्न हाेता है।


--- मानक पर खरे नहीं उतर रहे भट़्ठे


क्षेत्र में संचालित एक भी ऐसे ईंट भट्ठे नहीं हैं जो मानक पर खरे उतर रहे हों। अधिकारियों को सरकारी राजस्व से मतलब है। उन्हें इनके मानकों से कुछ लेना देना नहीं है। जांच तक करना उचित नहीं समझते। चाहे ईंट पथाई का मामला हो या फिर ईंट पकाने का। किसी मामले की सतही जांच नहीं की जाती।

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