सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

ई रिक्शा चालक और टू व्हीलर वाहन वाले धज्जियां उड़ाने वालों पर ट्रैफिक पुलिस ने कसा शिकंजा

ई रिक्शा चालक और टू व्हीलर वाहन वाले धज्जियां उड़ाने वालों पर ट्रैफिक पुलिस ने कसा शिकंजा ट्रैफिक इंस्पेक्टर चौक जमानत अब्बास द्वारा लगाया गया वाहन चेकिंग अभियान चेकिंग अभियान के दौरान बिना नंबर प्लेट फराटा भरने वालों पर की कार्यवाही बिना नंबर प्लेट की कई गाड़ियों को किया गया सीज जॉइंट सीपी (एल ओ) बब्लू कुमार,एसीपी ट्रैफिक के निर्देशन में वाहन चेकिंग अभियान चलाया गया

चंदेलों का जल प्रबंधन: अतीत की विरासत, आज के संकट का समाधान

 चंदेलों का जल प्रबंधन: अतीत की विरासत, आज के संकट का समाधान

बुंदेलखंड का अर्ध-शुष्क क्षेत्र, जो सूखे और जल संकट के लिए कुख्यात है, एक समय पर जल प्रबंधन के क्षेत्र में उत्कृष्टता का प्रतीक था। 9वीं से 13वीं शताब्दी के बीच चंदेल वंश ने यहां ऐसी जल प्रबंधन प्रणाली विकसित की, जिसने न केवल तत्कालीन जल आवश्यकताओं को पूरा किया, बल्कि भविष्य की जरूरतों के लिए भी जल संरक्षण का एक स्थायी मॉडल प्रस्तुत किया। जल संचयन, भूजल पुनर्भरण और जल आपूर्ति की उनकी अद्वितीय तकनीकें आज भी प्रासंगिक हैं।

चंदेल शासकों ने "जल ही जीवन है" की अवधारणा को समझते हुए जल संरक्षण को शासन का अभिन्न हिस्सा बनाया। उन्होंने भूगोल और प्राकृतिक ढलानों का उपयोग कर तालाब, बावड़ियां, बांध और एनीकट बनाए। इन जल संरचनाओं का निर्माण इस प्रकार किया गया कि वर्षा जल को संग्रहीत कर कृषि, घरेलू उपयोग और भूजल पुनर्भरण के लिए इस्तेमाल किया जा सके। इनका डिज़ाइन पर्यावरणीय संतुलन और सामुदायिक भागीदारी की दृष्टि से भी अनुकरणीय था।

चंदेलों की जल संरचनाओं के प्रकार

1. तालाब: जल संचयन का आधार

चंदेलों ने बड़े और छोटे तालाबों का निर्माण किया, जिनका उपयोग पेयजल, सिंचाई और धार्मिक अनुष्ठानों के लिए किया जाता था। महोबा में स्थित शिव सागर, मदन सागर और कीरत सागर जैसे विशाल तालाब इस बात के प्रमाण हैं कि जल प्रबंधन की यह प्रणाली कितनी उन्नत थी।

तकनीकी विशेषताएं:

स्थान का चयन: निचले इलाकों और ढलानों पर तालाब बनाए गए ताकि वर्षा का पानी आसानी से एकत्र हो सके।आकार और डिज़ाइन: तालाबों के आकार गोल, अर्धचंद्राकार और चौकोर होते थे, जिनके किनारे पक्की दीवारों से सुरक्षित होते थे ताकि रिसाव को रोका जा सके।

उपयोग: इन तालाबों का उपयोग केवल कृषि और पेयजल के लिए नहीं, बल्कि धार्मिक अनुष्ठानों और तीर्थ यात्राओं के लिए भी किया जाता था।

2. बांध और एनीकट: नदियों पर नियंत्रण

चंदेलों ने नदियों और नालों के प्रवाह को नियंत्रित करने के लिए बांध और एनीकट का निर्माण किया। ये संरचनाएं नदी के प्रवाह को नियंत्रित करतीं और पानी को धीमे-धीमे छोड़ा जाता, ताकि वह तालाबों और जलाशयों में एकत्र हो सके।

तकनीकी विशेषताएं:

निर्माण तकनीक: पत्थरों, मिट्टी और चूने का उपयोग कर इनका निर्माण किया जाता था।

प्रभाव: इन संरचनाओं ने नदियों की धारा को नियंत्रित किया और भूजल पुनर्भरण में मदद की।

उदाहरण: बुंदेलखंड की उर्मिल नदी पर बने एनीकट आज भी जल पुनर्भरण में सहायक हैं।

3. बावड़ियां और कुएं: भूजल पुनर्भरण के साधन

चंदेलों ने गहरे कुओं और बावड़ियों का निर्माण किया, जो भूमिगत जल को पुनर्भरित करने का कार्य करते थे। खजुराहो और महोबा की बावड़ियां आज भी उस काल की जल प्रबंधन प्रणाली का उदाहरण प्रस्तुत करती हैं।

तकनीकी विशेषताएं:

डिज़ाइन: बावड़ियों का डिज़ाइन सीढ़ीनुमा होता था ताकि लोग आसानी से पानी निकाल सकें।

प्रभाव: बावड़ियों में वर्षा का पानी इकट्ठा होता और धीरे-धीरे जमीन में रिसकर भूजल पुनर्भरण करता।

उपयोग: बावड़ियों का उपयोग पेयजल, सामुदायिक मिलन और धार्मिक अनुष्ठानों के लिए किया जाता था।

4. भूजल पुनर्भरण: भविष्य के लिए जल भंडारण

चंदेलों ने पानी को भूमि में पुनर्भरित करने के लिए विशेष तकनीकों का उपयोग किया। संवेदनशील क्षेत्रों में संकलन कुंड (Collection Pits) बनाए गए, जिनमें वर्षा जल अवशोषित होकर भूजल स्तर को स्थिर बनाए रखता था।

तकनीकी विशेषताएं:

प्रणाली: भूमि की जलधारण क्षमता को बढ़ाने के लिए पत्थरों और छिद्रयुक्त मिट्टी का उपयोग किया जाता था।

प्रभाव: भूजल स्तर स्थिर रहता था और कुओं का जलस्तर बरकरार रहता था।

सामुदायिक भागीदारी और जल कर प्रणाली

चंदेलों की जल प्रबंधन प्रणाली की सबसे बड़ी विशेषता थी सामुदायिक भागीदारी। जल संरचनाओं के निर्माण और रखरखाव के लिए ग्रामीणों का सहयोग अनिवार्य था। ग्रामीण समुदाय श्रमदान के माध्यम से इन संरचनाओं की खुदाई और मरम्मत करते थे।

जल कर (Water Tax) प्रणाली:

चंदेल शासन ने "जल कर" नामक कर व्यवस्था लागू की, जिससे प्राप्त राजस्व का उपयोग तालाबों और बावड़ियों की मरम्मत और रखरखाव के लिए किया जाता था।

यह प्रणाली पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल का एक प्रारंभिक उदाहरण है, जिसे आज जल प्रबंधन में अपनाया जा रहा है।

आधुनिक जल संकट के समाधान में चंदेलों की प्रासंगिकता

बुंदेलखंड क्षेत्र, जो आज सूखे और जल संकट का सामना कर रहा है, चंदेलों की जल प्रबंधन प्रणाली से बहुत कुछ सीख सकता है। उनकी तकनीकों का उपयोग करके रेन वाटर हार्वेस्टिंग (वर्षा जल संचयन), वाटरशेड प्रबंधन और ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे आधुनिक उपायों को प्रभावी बनाया जा सकता है।

प्राचीन तकनीकें, आधुनिक समाधान

1. तालाबों का पुनर्जीवन: जल संचयन के लिए चंदेलों के तालाबों को पुनर्जीवित कर पेयजल और सिंचाई के लिए उपयोग किया जा सकता है।

2. बावड़ियों की बहाली: बावड़ियों का पुनर्निर्माण भूजल पुनर्भरण के लिए एक प्रभावी समाधान हो सकता है।

3. चेक डैम और एनीकट: चेक डैम और स्टॉप डैम की वर्तमान अवधारणा चंदेलों के बांध और एनीकट से प्रेरित है।

4. पारिस्थितिकी के साथ सामंजस्य: चंदेलों ने जल संरचनाओं को प्राकृतिक पारिस्थितिकी के साथ जोड़कर निर्माण किया था। आज के समय में यह टिकाऊ जल प्रबंधन के सिद्धांतों के अनुरूप है।

निष्कर्ष

चंदेलों का जल प्रबंधन मॉडल अतीत की एक अमूल्य धरोहर है, जिसे वर्तमान समय में जल संकट के समाधान के रूप में अपनाया जा सकता है। उनकी तकनीकें पर्यावरणीय संतुलन, सामुदायिक भागीदारी और स्थायी जल उपयोग के सिद्धांतों का अद्भुत उदाहरण हैं।

आज, जब बुंदेलखंड और देश के अन्य हिस्से जलवायु परिवर्तन और अनिश्चित वर्षा के कारण संकट में हैं, तो चंदेलों के विचार और तकनीकें "सतत जल प्रबंधन" (Sustainable Water Management) के लिए एक मार्गदर्शक प्रकाशस्तंभ के रूप में उभर सकती हैं। रेन वाटर हार्वेस्टिंग, वाटरशेड प्रबंधन और ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर में चंदेलों की तकनीकें आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं जितनी हजार वर्ष पहले थीं।

"अतीत के चंदेलों की जल प्रबंधन प्रणाली आज के जल संकट से निपटने के लिए एक अनुकरणीय मार्गदर्शक है। हमें इसे अपनाने और पुनर्जीवित करने की आवश्यकता है रुद्र रावत, रुद्रांक छात्र पर्यावरण विज्ञान बुंदेलखंड विश्वविद्यालय झांसी।

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

पोस्टमार्टम हाउस में सफाई कर्मचारी और महिला के वायरल अश्लील वीडियो पर पुलिस ने की कार्यवाही संबंध बनाने वाली महिला भी गिरफ्तार।

पोस्टमार्टम हाउस में सफाई कर्मचारी और महिला के वायरल अश्लील वीडियो पर पुलिस ने की कार्यवाही संबंध बनाने  वाली महिला भी गिरफ्तार। नोएडा । उत्तर प्रदेश के नोएडा से सनसनीखेज मामला सामने आया है जहां। बीते दिन पोस्टमॉर्टम हाउस का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा हैं। इस वीडियो में लाशों के बीच एक महिला के साथ एक सफाई कर्मचारी शारीरिक संबंध बनाते दिखाई दे रहा हैं।  इस सनसनीखेज वीडियो के सामने आने के बाद पुलिस ने सक्रियता दिखाते हुए 3 आरोपियों को गिरफ्तार किया हैं।  इस मामले में लिप्त महिला को भी अब पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। जो इस वीडियो में गंदे काम में शामिल थी। आपको बताते चलें कि नोएडा पुलिस ने जिस महिला को गिरफ्तार किया है वह नेपाल की रहने वाली है। ग़रीबी के कारण महिला अपनी गुजर-बसर नहीं कर पाती है जिसके कारण घर चलाने के लिए जिस्मफरोशी का धंधा करती है। घटना के दिन भी महिला ने पोस्टमार्टम हाउस के सफाईकर्मियों के साथ सौदा तय किया था और उसके बाद ही पोस्टमार्टम हाउस में पहुंची थी। जहां सफाईकर्मी और उसके दोस्त ने मिलकर शारीरिक संबंध बनाए थे। नोएडा के सेक्टर- 39 के थाना क...

जिला अधिवक्ता संघ लखीमपुर की नवनिर्वाचित कार्यकारिणी में निर्वाचित- अध्यक्ष- विनय कुमार सिंह उपाध्यक्ष- सरोज कुमार श्रीवास्तव कनिष्ठ उपाध्यक्ष- उत्तम कुमार राज कोषाध्यक्षण- . प्रमोद पटेल महामंत्री-- मनोज जायसवाल सयुंक्त मंत्री-- 1.गौरव वाजपेयी 2.सुखवीर सिंह 3.अजय शुक्ला गवर्नेस कौंसिल-- 1.विकास निषाद 2.प्रदीप यादव 3.योगेंद्र शुक्ला

 जिला अधिवक्ता संघ  लखीमपुर की नवनिर्वाचित कार्यकारिणी में निर्वाचित-  अध्यक्ष-0            विनय कुमार सिंह उपाध्यक्ष-           सरोज कुमार श्रीवास्तव कनिष्ठ उपाध्यक्ष-              उत्तम कुमार राज कोषाध्यक्षण-       .        प्रमोद पटेल महामंत्री--               मनोज जायसवाल सयुंक्त मंत्री--                    1.गौरव वाजपेयी                    2.सुखवीर सिंह                    3.अजय शुक्ला गवर्नेस कौंसिल--                           1.विकास निषाद                           2.प्रदीप यादव                 ...

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने फर्जी पत्रकारों के खिलाफ जारी किए आदेश, अब देश भर में होगी एफआईआर

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने फर्जी पत्रकारों के खिलाफ जारी किए आदेश, अब देश भर में होगी एफआईआर इन्टरनेट पर चल रहे न्यूज पोर्टल समाचार चैनल किसी भी तरह के पत्रकार की नियुक्ति नहीं कर सकता है और न ही प्रेस आईडी जारी कर सकता है  नई दिल्ली। भारत में सूचना प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार के द्वारा फर्जी पत्रकारों एवं फर्जी चैनलों पर शिकंजा कसने की तैयार शुरू कर दी है। प्राप्त जानकारी के अनुसार इस मामले में मंत्रालय बहुत सख्त कार्यवाही की योजना बना रहा है। जिसमें जो लोग बगैर आर.एन.आई के अखबार या चैनल चला रहे हैं उन पर सख्त से सख्त कार्यवाही की जाएगी।  इस मुद्दे पर सूचना एवं प्रसारण मंत्री ने वीडियो कांफ्रेंसिंग में पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि देश भर में जितने भी लोग प्रेस आईडीकार्ड लेकर घुम रहे हैं या फजी चैनल चला रहे हैं ऐसे लोगों की तत्काल जांच शुरू होगी। इस मामले में दोषी पाए जाने वाले व्यक्ति पर त्वरित कार्यवाही करते हुए गिरफ्तार कर लिया जाएगा। आगे प्रसारण मंत्री ने कहा कि कुछ दोषी लोगों के कारण अच्छे, सच्चे एवं ईमानदार पत्रकारों के छवि धूमिल हो रही है और उनके कार्य करने में ब...