‘संविधान हत्या दिवस 2025’ कार्यक्रम में आपातकाल की विभीषिका पर जागरूकता, केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने किया संबोधित
‘संविधान हत्या दिवस 2025’ कार्यक्रम में आपातकाल की विभीषिका पर जागरूकता, केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने किया संबोधित
फरीदाबाद (हरियाणा) । देश में लगाए गए आपातकाल के 50 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में बुधवार को फरीदाबाद के सेक्टर-12 स्थित एचएसवीपी कन्वेंशन सेंटर में 'संविधान हत्या दिवस 2025' कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस आयोजन में केंद्रीय ऊर्जा, आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।
विशेष प्रदर्शनी से हुई शुरुआत
कार्यक्रम की शुरुआत आपातकाल पर आधारित विशेष प्रदर्शनी के उद्घाटन से हुई। इस प्रदर्शनी में 1975 में लगाए गए आपातकाल के दौरान हुई सरकारी कार्रवाइयों, नागरिक अधिकारों के हनन और मीडिया पर थोपे गए सेंसरशिप से जुड़े दुर्लभ दस्तावेज, समाचार कतरनें, चित्र और घटनाओं को प्रदर्शित किया गया। प्रदर्शनी का अवलोकन श्री मनोहर लाल और अन्य विशिष्ट अतिथियों द्वारा किया गया। सभी ने उस समय के वातावरण को नजदीक से समझा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर पड़े प्रभाव को महसूस किया।
डॉक्यूमेंट्री के माध्यम से प्रस्तुत हुआ ऐतिहासिक सत्य
इसके पश्चात आपातकाल की घटनाओं पर आधारित एक विशेष डॉक्यूमेंट्री फिल्म का प्रदर्शन किया गया, जिसमें यह दर्शाया गया कि किस प्रकार 25 जून 1975 को तत्कालीन सरकार ने संविधान को दरकिनार करते हुए नागरिक अधिकारों का दमन किया। फिल्म में मीडिया सेंसरशिप, हजारों निर्दोषों की गिरफ्तारी और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कुचलने जैसे विषयों को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया गया, जिसे दर्शकों ने गंभीरता से देखा।
मनोहर लाल ने बताया आपातकाल को लोकतंत्र का काला अध्याय
अपने संबोधन में केंद्रीय मंत्री श्री मनोहर लाल ने कहा, "25 जून 1975 का दिन भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में एक काला अध्याय है। उस समय संविधान को कुचला गया, लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर किया गया और आम जनता की आवाज को दबा दिया गया।"
उन्होंने स्व. अटल बिहारी वाजपेयी के उस कथन का भी उल्लेख किया, जो आपातकाल के समय लोगों के लिए आशा का स्रोत बना – "सूरज उगेगा, अंधेरा छंटेगा और कमल खिलेगा।"
श्री खट्टर ने कहा कि आपातकाल ने भारत के लोकतांत्रिक ढांचे को चुनौती दी, परंतु जनता की जागरूकता और संघर्ष ने देश को पुनः लोकतंत्र की ओर अग्रसर किया। उन्होंने कहा कि आज का भारत आत्मनिर्भर बन रहा है और वैश्विक मंच पर अपनी नई पहचान स्थापित कर चुका है।
युवाओं को दिया जागरूक रहने का संदेश
केंद्रीय मंत्री ने युवाओं से आह्वान किया कि वे संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए सदैव सजग रहें। उन्होंने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और नागरिक अधिकार किसी साधारण व्यवस्था का हिस्सा नहीं, बल्कि वर्षों के संघर्ष और बलिदानों का परिणाम हैं।
आपातकाल के संघर्षशील योद्धाओं को किया गया सम्मानित
कार्यक्रम में आपातकाल के दौरान जेल की यातनाएं झेलने वाले अनेक गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति विशेष रही। जिनमें डॉ. अरविंद सूद (जिन्होंने 18 महीने जेल में बिताए), श्री रवि भूषण खत्री, श्री रामदत्त शर्मा, श्री रामकिशन, श्री अजय चटर्जी, श्री ओमप्रकाश सेतिया, श्री श्याम कुकरेजा, श्री रोहित कालरा, श्री अजीत जैन और वरिष्ठ पत्रकार श्री उत्तम राज शामिल रहे। सभी ने मंच से अपने अनुभव साझा किए और उस कालखंड की कठोर वास्तविकताओं को सामने रखा।
कार्यक्रम का समापन संविधान और लोकतंत्र की रक्षा के संकल्प के साथ किया गया। आयोजन में बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक, बुद्धिजीवी, पत्रकार, छात्र एवं युवावर्ग उपस्थित रहा।