नफ़रत नहीं, मोहब्बत चाहिए – मुल्क की सलामती का पैग़ाम
नफ़रत नहीं, मोहब्बत चाहिए – मुल्क की सलामती का पैग़ाम
बरेली की सरज़मीं पर अगर आज भीड़ इकट्ठा करने की कोशिश की जाती है और इसके पीछे तौकीर रज़ा जैसे लोग शामिल पाए जाते हैं, तो उन पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। वरना यह मानने में हिचक नहीं कि कुछ तथाकथित धार्मिक ठेकेदार समाज में ज़हर घोलकर हिंदू–मुस्लिम के बीच टकराव करवाना चाहते हैं। ये लोग हमारे प्यारे मुल्क में 20-20 का खेल खेल रहे हैं, जबकि असल में इसका खामियाज़ा जनता और देश दोनों को भुगतना पड़ता है धर्म के ठेकेदारों को सबक सिखाने का वक़्त आज ज़रूरत है कि जो लोग अपने देश से मोहब्बत करते हैं, वो अपने-अपने धर्म के इन व्यापारियों को पहचानें और उन्हें सबक सिखाएँ। धर्म का असली मक़सद इंसानियत, भाईचारा और मोहब्बत है, न कि नफ़रत और टकराव मुल्क का मातम हम सबका मातम है धर्म के ठेकेदार जब अपने फ़ायदे के लिए भीड़ भड़काते हैं, तो असल मातम उनके घरों में नहीं होता। मरते-जीते हैं हम सब, और ज़ख़्मी होती है इस मुल्क की आत्मा। हमें समझना होगा कि देश की सलामती सबसे ऊपर है, धर्म के नाम पर हिंसा किसी भी क़ीमत पर क़बूल नहीं की जा सकती मोहब्बत का पैग़ाम ही असली रास्ता हम सबको मिलकर नफ़रत की खेती को उगने नहीं देना है। इंसानियत और भाईचारे का संदेश ही हमारे देश को मजबूत बना सकता है। प्रेम का पैग़ाम देना ही आज की सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी है।
