101 साल पुराना विलोबी मेमोरियल ट्रस्ट विवादों में, स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के आश्रितों ने की ट्रस्ट भंग करने की मांग
101 साल पुराना विलोबी मेमोरियल ट्रस्ट विवादों में, स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के आश्रितों ने की ट्रस्ट भंग करने की मांग
लखीमपुर खीरी। वर्ष 1920 में जिले के तत्कालीन कलेक्टर विलियम डगलस विलोबी (ICS) की हत्या के बाद अंग्रेज सरकार द्वारा निर्मित विलोबी मेमोरियल हॉल और उससे जुड़े विलोबी मेमोरियल ट्रस्ट को लेकर एक बार फिर विवाद गहरा गया है। स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के आश्रितों ने ट्रस्ट को तत्काल समाप्त करने की मांग उठाई है।
इतिहास के अनुसार, नगर लखीमपुर के मोहल्ला थर्वरनगंज निवासी तीन स्वतंत्रता सेनानी नसीरुद्दीन मौजी, माशूक और बशीर ने 26 अगस्त 1920 को विलोबी के आवास पर हमला कर तलवार से उनका सिर धड़ से अलग कर दिया था। तीनों क्रांतिकारी उसी दिन गिरफ्तार हुए और सीतापुर सेशन कोर्ट में मुकदमे के बाद 1920 में ही उन्हें फांसी दे दी गई। आज़ादी के बाद तीनों को शहीद का दर्जा प्रदान किया गया।
अंग्रेजी शासन ने विलोबी की स्मृति में 1920 में मेमोरियल हॉल का निर्माण कराया और 1924 में विलोबी मेमोरियल ट्रस्ट का पंजीकरण किया। ट्रस्ट का अध्यक्ष पदेन अंग्रेज कलेक्टर और सचिव सरस्वती प्रसाद आगा को बनाया गया था। देश स्वतंत्र हो गया, लेकिन ट्रस्ट की संरचना आज तक जस की तस कायम है। हैरानी की बात यह है कि पिछले 101 वर्षों से एक ही परिवार ट्रस्ट का सचिव बना हुआ है, जबकि अध्यक्ष पदेन डीएम ही हैं।
ट्रस्ट की संपत्ति में करीब 60 दुकानें, लगभग 5 लाख वर्गफुट का मैदान, हॉल और अन्य निर्माण शामिल हैं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि दुकानों की खरीद-फरोख्त में 25 से 30 लाख रुपये तक का काला धन चल रहा है, जबकि किराए का कोई स्पष्ट ब्योरा उपलब्ध नहीं है।
सूत्रों के मुताबिक शासन ने भी डीएम खीरी को ट्रस्ट से "विलोबी" नाम हटाने और व्यवस्था सुधारने के निर्देश जारी किए थे, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसी बीच स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के आश्रितों ने मांग की है कि अंग्रेजों के बनाए इस ट्रस्ट को या तो तत्काल भंग किया जाए या इसकी पूरी व्यवस्था सरकार अपने हाथ में लें।
