रोबिन हुड के नाम से मशहूर डाकू मोहर सिंह का निधन
दस्यु सम्राट मोहर सिंह गुर्जर का हुआ निधन, गोहद विधानसभा क्षेत्र के जटपुरा ग्राम के मूल निवासी दस्यु सम्राट मोहर सिंह का 93 वर्ष की उम्र में आज मंगलवार प्रातः उनके पैतृक निवास मेहगांव नगर में हो गया। वे अपने पीछे भरा पूरा परिवार छोड़कर गए हैं। मिली जानकारी के अनुसार चंबल के बहडो में 12 वर्षों तक आतंक का पर्याय रहे मोहर सिंह गुर्जर की प्रदेश में सबसे बड़ी गैंग हुआ करती थी। सन 1960 में गोहद तहसील के जटपुरा ग्राम में जमीनी विवाद पर बंदूक थाम कर चंबल के बहिणो में डकैत के नाम से जाने जाने वाले दस्यु सम्राट मोहर सिंह का प्रदेश में सबसे बड़ा गैंग हुआ करता था। जिनकी गैंग में लगभग 200 सदस्य हुआ करते थे। प्रदेश कि सबसे बड़ी डकैत गेग थी जिनकी गैंग के नाम पर 400 के लगभग हत्याएं दर्ज थी।
1972 में इंदिरा गांधी के चलाए हुए अभियान के तहत मध्य प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री प्रकाश चंद्र सेठी के नेतृत्व में 100 सदस्य गैंग को लेकर दस्यु सम्राट ने समर्पण किया था। और सरकार ने 8 साल की खुली जेल काटने के बाद मेहगांव नगर पंचायत में जमीन और मकान बनाने के लिए जगह और बच्चों की पढ़ाई के लिए वजीफा देकर सम्मान की जिंदगी जीने की राह दिखाई थी। तभी से दस्यु सम्राट अपने बच्चों को साथ में लेकर मेहगांव नगर पंचायत में समाज सेवा का कार्य करना प्रारंभ कर दिया था। दिग्विजय सिंह के कार्यकाल में आप मेहगांव नगर पंचायत के निर्विरोध अध्यक्ष निर्वाचित हुए थे। गत महीनों पहले दस्यु सम्राट मोहर सिंह से जब बातचीत हुई थी तो उन्होंने अपने डकैत बनने के कारण बताए थे।
उन्होंने कहा कि बंदूक पकड़कर चंबल के बहणो में मैं अपनी इच्छा से नहीं गया था। पटवारी और राजस्व अधिकारियों की मिलीभगत से मुझे मजबूर कर दिया था। बंदूक उठाने के लिए गांव में जमीनी विवाद के बाद मुझे मजबूरी में डकैत बनना पड़ा। तब के डकैतों में और आज के गुंडों में फर्क बताते हुए दस्यु सम्राट ने कहा कि पहले डकैत और साधु एक समान साधक हुआ करते थे। डकैत लंगोट का पक्का हुआ करता था जिस तरह साधु साधना करता था डकैत भी सन्यासी जीवन व्यतीत करता था। हम डकैती डालते थे लेकिन किसी का घर मकान महिला आबरू नहीं लूटा करते थे। पकड़ कर उसको छोड़ने के एवज में रुपए की मांग किया करते थे। ग्रामीण निर्धन गरीब बच्चियों की शादी कर उनके हाथ पीले किया करते थे। आज के डकैत नहीं है गुंडे छिछोरे हैं, जो चोरियां करते हैं। जिस घर में खाते हैं उसी घर में वारदात घटित करते हैं। उनकी नियत में खोट होती थी। हम लोग कहकर बार किया करते थे। आज धोखे से वार करते हैं…।
दस्यु सम्राट मोहर सिंह बताते हैं कि हमारे डकैत कार्यकाल में लगभग 25 सदस्य वाली 12 …13 डकैतों की गैंग हुआ करती थी जिनमें दस्यु सम्राट माधो सिंह, माखन सिंह, पहलाद सिंह, हरविलास, सुरेंद्र सिंह, स्वरूप सिंह, जगमोहन सिंह, जगजीत सिंह आदि आदि सभी लोगों में भारी आपसी प्रेम हुआ करता था। एक दूसरे की जान पहचान वाली अगर कोई पकड़ होती थी तो पता लगने पर ही छोड़ दिया करते थे। दो महीने एक दूसरे के साथ में विचरण चंबल की घाटियों में किया करते थे। दाल टिक्कर आदि भजन आदि का कार्यक्रम आपस में समय व्यतीत करने के लिए किया करते थे।
उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की पुलिस में क्या फर्क- सम्राट कहते हैं कि उत्तर प्रदेश पुलिस जिसे डकैत हम पीएससी बोलते हैं वह गद्दार धोखेबाज रहती थी मध्य प्रदेश पुलिस के जांबाज पुलिस अधिकारी जो वादा करते थे उस वादे पर खरे उतरते थे। इस कारण हम लोग उत्तर प्रदेश में वारदातें घटित करते थे। और मध्य प्रदेश के चंबल के पेड़ों में आकर अपना समय व्यतीत करते थे। कुछ समय ऐसा भी आया की हमें डकैती डालने कहीं जाना ही नहीं पड़ता था। समाज के कुछ छिछोरे टाइप के अपराधी पकड़ को हमें स्वयं दे जाते थे और कुछ पैसे हमसे ले जाते थे। उस पकड़ को छोड़ने के एवज में हम लोग निश्चित रकम वसूल कर उसको छोड़ देते थे।
डकैत जीवन और नगर पालिका अध्यक्ष तक के जीवन में क्या फर्क है- सम्राट मोहर सिंह ने कहा कि डकैत बागी जीवन बहुत ही परिश्रम और कठोर तप जैसा था। जिसमें डर लगा रहता था, शांति नहीं थी। मेहगांव नगर पंचायत अध्यक्ष बनने के बाद नागरिकों की जनसेवा करने के बाद जो आनंद शांति मिलती है। वही जीवन का सच्चा सुख है। समाज सेवा के बाद अपने युवा जीवन जीवन काल में जो गलत कार्य किए उनका पश्चाताप प्रभु के भजन और चरणों में पूजा पाठ कर क्षमा करने की याचना करते हैं। उन्होंने कहा है कि युवा अपराध की राह पर समाज के कुछ लोगों की गलतियों के कारण चला जाता है। समाज के जागरूक लोगों को आगे आकर ऐसे युवाओं को भटकने से रोकना चाहिए। और युवाओं से भी मेरी अपील है कि अपराध का रास्ता बहुत गलत है। उम्र के अंतिम पड़ाव पर इसका असर दिखाई देता है इसलिए गलत राह पर ना चले ईश्वर का भजन कीर्तन कर मानव सेवा में अपना जीवन लगाएं और शांति पूर्वक जीवन व्यतीत करें, यही परमसुख है।
दस्यु सम्राट मोहर सिंह गुर्जर के निकट नजदीक पहलवान नवल सिंह परमार बताते हैं कि आज इतनी उम्र के बाद भी दस्यु सम्राट अपनी बंदूक अपने बिस्तर पर साथ रख कर सोते हैं। कठोर जीवन परिश्रम कर व्यतीत कर रहे हैं। बात के धनी हैं जो कह दिया तो कह दिया, कम बोलते हैं.. खरा बोलते हैं.. जो बोलते हैं उस पर खरा उतरते हैं यह इनकी खूबी थी।